पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत ने कुल 6 मेडल जीते, जिसमें एक भी गोल्ड नहीं था। खेल के इस महाकुंभ के लिए खिलाड़ियों ने सालों पहले से तैयारी शुरू कर दी थी। अलग-अलग खेलों में एथलीट ने विश्व स्तर पर दमदार प्रदर्शन कर ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था, लेकिन इसके बावजूद भारत के खाते में तोक्यो ओलंपिक से एक मेडल कम आया। ओलंपिक में इस निराशाजनक प्रदर्शन के बाद कई तरह की बाते सामने आ रही है। कई खिलाड़ियों का यह कहना है कि उन्हें सरकार के तरफ उस तरह की मदद नहीं मिली जैसी मिलनी चाहिए थी। यही कारण है कि उनकी तैयारी ओलंपिक के लेवल की नहीं हो पाई है और इसी वजह वह मेडल नहीं ला पाए।

हालांकि, सरकारी रिपोर्ट की मानें तो पेरिस ओलंपिक की तैयारियों के लिए अलग-अलग खेलों पर कुल 470 करोड़ रुपए खर्च किए गए। पेरिस ओलंपिक के लिए खिलाड़ियों और कोचिंग स्टाफ समेत कुल 200 सदस्य शामिल थे। इसके अलावा कुल 16 खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने भाग लिया, लेकिन इसके बावजूद सिर्फ 6 मेडल ही मिल पाया। स्पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने जो रिपोर्ट पेश की है उसमें सबसे ज्यादा पैसा एथलेटिक्स पर खर्च किया गया है, जबकि सबसे कम इक्वेस्ट्रियन पर खर्च हुआ है। जिस खेल में सबसे ज्यादा पैसे खर्च हुए उसमें सिर्फ एक नीरज चोपड़ा ही मेडल जीत पाए। इसके अलावा और किसी भी एथलीट को सफलता नहीं मिल पाई। ऐसे में आइए जानते हैं किस खेल पर कितना खर्च हुआ है।
  सरकार की तरफ से सबसे ज्यादा फंड 96.08 करोड़ एथलेटिक्स को दिया गया। इसके बाद दूसरे स्थान पर बैडमिंटन है। बैडमिंटन के लिए सरकार की तरफ से 72.03 करोड़ की फंडिंग हुई। इसके बाद बॉक्सिंग को 60.93 करोड़ मिले। शूटिंग के लिए सरकार ने 60.42 करोड़ रुपए दिए। इसके अलावा हॉकी के लिए 41.03 करोड़, तीरंदाजी के लिए 39.18 करोड़, रेसलिंग के लिए 37.80 करोड़, वेटलिफ्टिंग के लिए 27 करोड़, टेबल टेनिस के लिए 12.92 करोड़, जूडो के लिए 6.33 करोड़ रुपए, तैराकी को 3.90 करोड़ की रकम मिली। सबसे कम खर्चों में रोइंग (3.89 करोड़), सेलिंग (3.78 करोड़), गोल्फ (1.74 करोड़), टेनिस (1.67) और इक्वेस्ट्रियन (95 लाख) को मिला।