लखनऊ । उत्तर प्रदेश से हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक युवक को अपनी पत्नी की हत्या में दोषी मानकर ट्रायल कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुना दी। युवक साढ़े सात साल तक जेल में बंद रहा, लेकिन इस दौरान युवक ने हाईकोर्ट का रुख किया। जहां हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को गलत बताकर युवक को बरी कर दिया। इतना ही नहीं बल्कि कोर्ट ने एक लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश भी राज्य सरकार को दिया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि बिना पत्नी की लाश साबित किए पति को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। हाईकोर्ट ने पति को एक लाख रुपये क्षतिपूर्ति देने का राज्य सरकार को आदेश दिया। बेंच के जज ने कहा कि अभियोजन ये साबित नहीं कर सका कि जिस लाश को उसकी पत्नी की बताकर दोषी करार दिया है। वह उसकी पत्नी की थी भी या नहीं।  अभियोजन पति को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं पेश कर सका।
बता दें कि 15 जनवरी 2017 को बहराइच के रिसिया थाने में सायरा बानो नाम की महिला की हत्या का मामला दर्ज हुआ था। बानो की 11 मई 2016 को हफीज से शादी हुई थी। कथित मृतका के परिजनों ने हफीज पर दहेज के लिए सायरा की हत्या का मामला दर्ज कराया था।
मामले में गांव के ही कन्नू खान की कब्र से एक लाश बरामद की गई। इस बानो की बहन शबाना और परवीन ने सायरा बानो की लाश बताया था। एडीजे कोर्ट बहराइच ने 27 मार्च 2019 को हफीज को पत्नी की हत्या के जुर्म में उम्र कैद की सजा सुना दी। इस सजा के खिलाफ हफीज ने हाईकोर्ट लखनऊ बेंच में अपील दाखिल की थी।  कब्र से बरामद लाश के शरीर पर कुछ कपड़े, धागा और ताबीज बरामद हुए थे, लेकिन अभियोजन साबित नहीं कर पाया कि वे चीजें सायरा बानो के ही थे।