कीव। रूस और यूक्रेन में चल रहे युद्ध के बीच एक सुखद खबर आई है कि दोनों देशों के बीच शांति बहाली के लिए शांति सम्मेलन भारत में हो सकता है। दरअसल, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा है कि यूक्रेन में शांति के लिए होने वाले दूसरे शांति सम्मलेन को भारत में होना चाहिए। जेलेंस्की ने इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात भी की है। गौरतलब है की अभी हालही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब यूक्रेन के दौरे पर गए थे तो उन्होंने दोनों देशों से शांति वार्ता करने की अपील की थी। उललेखनीय है कि जब 1965 में भारत-पाक के बीच युद्ध हुआ था तो उस समय रूस ने ताशकंद में शांति वार्ता कराई थी। अब उसी तर्ज पर भारत में वार्ता कराने की कोशिश हो रही है। जिसमें दोनों देशों के प्रमुख भी शामिल होंगे।
दरअसल यूक्रेन की कोशिश है कि दूसरा शांति सम्मेलन ग्लोबल साउथ देशों में होना चाहिए। भारतीय पत्रकारों से बात करते हुए जेलेंस्की ने कहा कि दूसरे शांति सम्मेलन के आयोजन के लिए भारत के अलावा सऊदी अरब, कतर, तुर्की और स्विट्जरलैंड के साथ भी बातचीत चल रही है। जेलेंस्की ने बताया कि शांति सम्मेलन उसी देश में होगा, जिसकी इसमें दिलचस्पी होगी। इससे पहले स्विट्जरलैंड में पहला यूक्रेन शांति सम्मेलन जून में आयोजित किया गया था, जिसमें रूस ने हिस्सा नहीं था। अब यूक्रेन शांति के लिए अपनी शर्तों को आगे बढ़ाने और रूस के प्रतिनिधियों को इसमें शामिल करने के लिए एक बार फिर से पीस समिट कराने पर जोर दे रहा है।
यूक्रेन युद्ध को रोकने का रास्ता तलाशने के लिए स्विटजरलैंड में दो दिवसीय (15-16जून) शांति सम्मेलन का आयोजन हुआ था। इसमें यूक्रेन ने 160 से ज्यादा देशों को आमंत्रण भेजा था मगर इसमें लगभग 90 देशों ने हिस्सा लिया था। रूस, चीन, ब्राजील समेत कुछ देशों ने इसमें हिस्सा नहीं लिया था। समिट के आखिरी दिन एक साझा बयान जारी किया गया जिस पर 80 से अधिक देशों ने दस्तखत किए। वही भारत, सऊदी अरब, साउथ अफ्रीका, इंडोनेशिया, थाइलैंड, मेक्सिको और यूएई समेत 7 देशों ने ऐसा नहीं किया। दिलचस्प बात है कि इस कई बार रूस का पक्ष लेने वाले तुर्किये ने भी इस पर हस्ताक्षर किए थे।
 रूस के सारातोव में सोमवार को अमेरिका के वल्र्ड ट्रेंड सेंटर जैसा हमला हुआ है। एक ड्रोन सुबह 38 मंजिला रिहायशी इमारत वोल्गा स्काई से टकराया। इसमें 4 लोग घायल हुए। रूस ने इस हमले का आरोप यूक्रेन पर लगाया। इसके पलटवार में रूस ने यूक्रेनी शहर कीव, खार्कीव, ओडेसा और लीव समेत 12 शहरों पर सैकड़ों मिसाइलें और ड्रोन दागे हैं। हमला सुबह के वक्त ही हुआ है। यूक्रेनी एयरफोर्स के अधिकारियों ने बताया कि कीव पर अटैक टीयू-95 स्ट्रैटेजिक बॉम्बर्स, किंझल बैलिस्टिक मिसाइलें से किया गया। अभी तक एक रिहायशी इमारत के क्षतिग्रस्त होने की सूचना है। हमले में 4 लोगों के मौत होने की जानकारी भी सामने आई है। रूस का हमला यूक्रेन-पोलैंड के बॉर्डर के नजदीक हुआ है। पोलैंड के सैन्य अधिकारियों ने सोशल मीडिया पोस्ट पर कहा कि, हमले के बाद पोलिश और उसके नाटो देशों के एयरक्राफ्ट्स को अलर्ट मोड पर रखा गया है।
यूक्रेन के हमले में रूसी बिल्डिंग का एक बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ। बिल्डिंग के नीचे खड़ी 20 से ज्यादा गाडिय़ों को नुकसान पहुंचा। एक महिला गंभीर रूप से घायल हो गई, जिसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। सरातोव यूक्रेन सीमा से 900 किमी दूर है। इस हमले के बाद सभी तरह की एयर रूट पर रोक लगा दी गई है। एक रिपोट्र्स के मुताबिक रूस पर सोमवार को 20 ड्रोन से अटैक किया गया। इनमें सबसे ज्यादा 9 सरातोव में दागे। मॉस्को के गर्वनर ने हमले का आरोप यूक्रेन पर लगाया है। यूक्रेन ने इस पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है। जानकारी के मुताबिक ड्रोन यूक्रेन की तरफ से दागा गया था।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में दिख रहा है कि एक ड्रोन तेजी से वोल्गा स्काई बिल्डिंग की तरफ बढ़ रहा है और उसमें टक्कर मार देता है। 11 सितंबर 2001 को अमेरिका के वल्र्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकियों ने इस तरीके से प्लेन क्रैश करवाए थे। आतंकियों ने 4 प्लेन हाईजैक किए थे। इनमें से 3 प्लेन एक-एक कर अमेरिका की 3 अहम इमारतों में क्रैश कराए गए। पहला क्रैश 8 बजकर 45 मिनट पर हुआ। बोइंग 767 तेज रफ्तार से वल्र्ड ट्रेड सेंटर के नॉर्थ टॉवर से जा टकराया। 18 मिनट बाद एक दूसरा बोइंग 767 बिल्डिंग के साउथ टॉवर से जा टकराया था। जबकि एक प्लेन अमेरिकी रक्षा मंत्रालय यानी पेंटागन से टकराया। चौथा प्लेन एक खेत में ही क्रैश हो गया। 9/11 हमले में 93 देशों के 3 हजार लोग मारे गए थे। इसे मानव इतिहास का सबसे भीषण आतंकी हमला माना जाता है।
ढाई साल से जारी रूस-यूक्रेन जंग में 6 अगस्त 2024 को पहली बार ऐसा हुआ जब यूक्रेन ने रूस में घुसकर उसके कुस्र्क इलाके पर कब्जा कर लिया। तभी से यूक्रेन लगातार रूस पर हमलावर है। 20 दिनों में यूक्रेन के हमलों में रूस के 31 नागरिकों की जान जा चुकी है। वहीं, 140 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद ऐसा पहली बार है, जब रूस की धरती पर किसी विदेशी ताकत ने कब्जा किया हो। यूक्रेन ने दो हफ्ते में रूस के 1263 वर्ग किमी इलाके पर कब्जा कर लिया था। हालांकि, जानकारों का कहना है कि यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की की यह जीत कम समय के लिए है और हार में बदल सकती है। अभी यूक्रेन का फोकस कुस्र्क पर है, जिससे रूस को दोनेस्त्क के पोक्रोवस्क में आगे बढऩे का मौका मिल रहा है।