म्यांमार में शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के भीषण भूकंप ने भारी तबाही मचाई है. इस भूकंप के झटके पड़ोसी देशों में भी महसूस किए गए. हालांकि, म्यांमार की सैन्य सरकार ने तबाही से जुड़ी जानकारी पर शिकंजा कस दिया है. वहां की सरकार ने विदेशी मीडिया को भूकंप प्रभावित इलाकों में जाने से रोक दिया है. सेना का कहना है कि इन इलाकों में बिजली-पानी की समस्या और ठहरने की दिक्कतों के कारण पत्रकारों को आने की अनुमति नहीं दी जा सकती.

अब भले ही म्यांमार सरकार तबाही की असल तस्वीरें दुनिया से छिपाने की कोशिश कर रही हो, लेकिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इस भूकंप से हुए नुकसान की सेटेलाइट तस्वीरें जारी कर दी हैं. इसरो की अत्याधुनिक अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट कार्टोसैट-3 ने 500 किलोमीटर की ऊंचाई से भूकंप प्रभावित इलाकों की हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरें ली हैं. इन तस्वीरों से पता चला है कि म्यांमार के कई प्रमुख शहरों को गंभीर नुकसान पहुंचा है.

म्यांमार का दूसरा सबसे बड़ा शहर तबाह

मांडले, जो म्यांमार का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, सबसे अधिक प्रभावित इलाकों में से एक है. इसरो की तस्वीरों में दिख रहा है कि मांडले और सगाइंग क्षेत्र में कई ऐतिहासिक इमारतें ढह गई हैं. मांडले यूनिवर्सिटी को भी नुकसान पहुंचा है, वहीं, इरावदी नदी पर बना एक बड़ा पुल भी गिर चुका है.

इसके अलावा, मशहूर महामुनी पगोडा और ऐतिहासिक अवा ब्रिज के क्षतिग्रस्त होने की भी पुष्टि हुई है. इन तस्वीरों के जरिए यह भी साफ हुआ कि भूकंप ने इमारतों, सड़कों और पुलों को भारी नुकसान पहुंचाया है.

म्यांमार में इमरजेंसी, भारत की मदद जारी

 इस भूकंप के कारण अब तक 2,900 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों लोग घायल हैं. वहीं कई रिपोर्ट में मौतों का आंकड़ा इससे भी ज्यादा बताए जा रहे हैं. भूकंप के बाद बचाव अभियान तेज कर दिया गया है, लेकिन तबाही इतने बड़े स्तर पर हुई है कि राहत कार्यों में मुश्किलें आ रही हैं.

भारत ने सबसे पहले मदद का हाथ बढ़ाया और बचाव टीमों को म्यांमार भेजा. भारत की ओर से राहत सामग्री, मेडिकल सप्लाई और बचाव दल भेजे गए हैं, ताकि म्यांमार को इस आपदा से उबरने में मदद मिल सके. इसरो की सैटेलाइट तस्वीरें दुनिया के सामने म्यांमार में हुई तबाही की सच्चाई ला रही हैं, जिससे ये साफ हो गया है कि म्यांमार में भूकंप के बाद की स्थिति कितनी गंभीर है.