भाजपा के रावत विजयपुर में फेल, वन मंत्री नहीं बचा पाए अपनी खास, हाथ लगी हार
विजयपुर । प्रदेश की विजयपुर विधानसभा सीट पर 21 राउंड की मतगणना पूरी हो गई है। कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा ने भाजपा के रामनिवास रावत को हरा दिया है। मल्होत्रा ने 7228 वोट से जीत दर्ज की है। मतगणना की शुरुआत से मल्होत्रा आगे चल रहे थे, लेकिन बीच वे पिछड़ गए थे। हालांकि, कुछ आखिरी राउंड की काउंटिंग में उन्होंने फिर बढ़त हासिल की जो आखिरी तक बनी रही। बतादें कि विजयपुर कांग्रेस का गढ़ रहा है। लेकिन, इस बार विजयपुर में बदली हुईं परिस्थितियों में उपचुनाव हुआ था। क्योंकि, छह बार के विधायक और कांग्रेस नेता रामनिवास रावत भाजपा में शामिल हो गए थे। अब तक कांग्रेस से रावत ही जीतते आ रहे थे, लेकिन इस बार वे भाजपा का चेहरा थे। ऐसे में पार्टी की साख बचाने के लिए प्रदेश कांग्रेस के नेताओं पूरी अपनी झोंक दी थी।
भाजपा लहर में भी जीते थे रावत
विजयपुर में कांग्रेस से भाजपा में विधायक रामनिवास रावत के शामिल होने के बाद उपचुनाव हुआ था। भाजपा में शामिल होने के बाद रावत को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। 6 बार के विधायक रावत कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। पिछले चुनाव में भाजपा की लहर के बाद भी रावत ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी। 1998 और 2018 के चुनाव छोड़ दें तो 1990 से 2023 तक आठ चुनाव में 6 बार कांग्रेस ने विजयपुर सीट पर जीत दर्ज की थी। लेकिन, 2024 के उपचुनाव में रावत अपना दबदबा कायम नहीं रख पाए।
दोनों दलों के लिए विजयपुर बनी थी प्रतिष्ठा की सीट
श्योपुर की विजयपुर विधानसभा आदिवासी बहुल सीट है। यहां पर भाजपा ने रामनिवास रावत और कांग्रेस ने आदिवासी वर्ग से आने वाले मुकेश मल्होत्रा को मैदान में उतारा था। यह दोनों उम्मीदवार एक दूसरे के खिलाफ पहले भी चुनाव लड़ चुके थे। लेकिन, इस बार दोनों दल बदलकर एक दूसरे के आमने सामने थे। इस सीट पर आदिवासी वोटरों की संख्या 60 हजार के आसपास है। कुशवाह समाज के भी 30 हजार वोट है। ज्यादातर चुनाव में दोनों ही समाज का झुकाव कांग्रेस की तरफ रहता है। इस बार भी कांग्रेस के मतदाता ने उसका साथ नहीं छोड़ा।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं का बढ़ेगा हौसला
कांग्रेस विजयपुर विधानसभा सीट और अपना गढ़ बचाने में कामयाब हो गई है। भाजपा की मतदाताओं को लुभाने की हर कोशिश नाकाम साबित हुई है। ऐसे में यह जीत कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का हौंसला बढ़ाएगी। साथ ही जीतू पटवारी की पार्टी में स्वीकार्यता भी बढ़ेगी। वहीं, रावत की हार के बाद उन्हें भाजपा में लाने को लेकर अब सवाल खड़े होंगे।